नरशरीर में तबतक किसी किसी प्रकार के रोग के जीवाणुओं का आक्रमण नहीं हो सकता जबतक वह दुराचरण, क्षय कुखाद्य और असंयम के कारण पहले ही से दुर्बल और हीनवीर्य नहीं हो जाता।
-स्वामी विवेकानंद
-स्वामी विवेकानंद
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